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लेखनी प्रतियोगिता -23-Oct-2023वह जीवन भी क्या जीवन है

वह जीवन भी क्या जीवन है
मात्रा भार 16/14

वह जीवन भी क्या जीवन है,
 जिसमें रत्ती भर प्यार नहीं।
 रुदन दर्द की नदिया बहती,
 सुख की प्रेमिल धार नहीं।।

 जो आशा का संबल देते,
 वे मन में बस जाते हैं ।
आती है जब रात्रि अमावस
शशि बन नभ में आते हैं।।
 कुछ ऐसे जन होते हैं जो,
 पीड़ा देते रहते हैं ।
शूल बाँटने वाले को ही ,
मिलता सुख आधार नहीं ।

जीवन की राह कटीली सी ,
सँभल-सँभल कर तुम चलना।
 संचित करके झूठी माया ,
अपने मन को मत छलना। 
हाँ साथ कहाँ कुछ जाएगा,
चाहे भरे खजाने हों।
 भौतिकता के मद में फँसकर ,
सिर ढोना तुम भार नहीं ।

नहीं ज्ञात होगा तुमको कब,
 मरण सामने आएगा।
 कब मृत्यु सर्प चुपके से आ,
इन साँसों को खायेगा।।
 सुंदर काज करो जग में जो,
 अमर कहानी बनना हो।
हाँ!हो अजेय तुम तो रण में,
 हार करो स्वीकार नहीं।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश

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6 Comments

Mohammed urooj khan

25-Oct-2023 12:14 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Abhinav ji

24-Oct-2023 07:41 AM

Very nice 👍

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K.K.KAUSHAL (Advocate)

23-Oct-2023 05:00 PM

🌹🙏बहुत सुंदर रचना, बधाई हो आदरणीया🌹🙏

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